श्लोक - १०१६
निजात्मरक्षणोपायलज्जामप्राप्य सज्जना: ।
विपुलां पृथिवीं चापि लब्धुं नेच्छन्ति सर्वदा ॥
Tamil Transliteration
Naanveli Kollaadhu Manno Viyangnaalam
Penalar Melaa Yavar.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 101 to 108 |
chapter | लज्जाशीलता |