Kural - १२२७
हे विरहदुःख प्रातःकाळी कळीप्रमाणे असते; हळूहळू ते एकेक पाहळी उघडून सायंकाल झाल्यावर संपूर्णपण फुलते.
Tamil Transliteration
Kaalai Arumpip Pakalellaam Podhaaki
Maalai Malarumin Noi.
Section | भाग तिसरा: काम |
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Chapter Group | सर्ग 121 to 133 |
chapter | तिन्हीसांजा जाल्यावार सुस्कारे |