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श्लोक - ८१३

श्लोक 813
श्लोक #८१३
मित्र बने जो गणन कर, स्वार्थ-लाभ का मान ।
धन-गाहक गणिका तथा, चोर एक सा जान ॥

Tamil Transliteration
Uruvadhu Seerdhookkum Natpum Peruvadhu
Kolvaarum Kalvarum Ner.

Sectionअर्थ- कांड
Chapter Groupअध्याय 91 to 100
chapterबुरी मैत्री
🡱
श्लोक ८१२श्लोक ८१४
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