श्लोक - ३५०
वीतराग के राग में, हो तेरा अनुराग ।
सुदृढ़ उसी में रागना, जिससे पाय विराग ॥
Tamil Transliteration
Patruka Patratraan Patrinai Appatraip
Patruka Patru Vitarku.
Section | धर्म- कांड |
---|---|
Chapter Group | अध्याय 021 to 030 |
chapter | संन्यास |
वीतराग के राग में, हो तेरा अनुराग ।
सुदृढ़ उसी में रागना, जिससे पाय विराग ॥
Tamil Transliteration
Patruka Patratraan Patrinai Appatraip
Patruka Patru Vitarku.
Section | धर्म- कांड |
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Chapter Group | अध्याय 021 to 030 |
chapter | संन्यास |