श्लोक - १२१७

कृपा न कर जागरण में, निष्ठुर रहे सुजन ।
पीड़ित करते किसलिये, मुझे स्वप्न में प्राण ॥
Tamil Transliteration
Nanavinaal Nalkaak Kotiyaar Kanavanaal
Enemmaip Peezhip Padhu.
| Section | काम- कांड |
|---|---|
| Chapter Group | अध्याय 121 to 13 |
| chapter | स्वप्नावस्था का वर्णन |