श्लोक - ७५८
प्रविशेत् स्वीकृते कार्ये निर्भीतो धनहस्तवान् ।
गजयुद्धं नगारूढो यथा निर्मयमीक्षते ॥
Tamil Transliteration
Kundreri Yaanaip Por Kantatraal Thankaiththondru
Untaakach Cheyvaan Vinai.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 071to 080 |
chapter | अर्थार्जनोपाय: |