श्लोक - ४३५
आदावेव नरो दोषान् य: प्राप्तान् न निवारयेत् ।
विनश्येत् जीवितं तस्य तृणं वह्निगतं यथा ॥
Tamil Transliteration
Varumunnark Kaavaadhaan Vaazhkkai Erimunnar
Vaiththooru Polak Ketum.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 44 |