श्लोक - ८४५
अपठित में ज्यों पठित का, व्यंजित करना भाव ।
सुपठित में भी दोष बिन, जनमे संशय-भाध ॥
Tamil Transliteration
Kallaadha Merkon Tozhukal Kasatara
Valladhooum Aiyam Tharum.
Section | अर्थ- कांड |
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Chapter Group | अध्याय 91 to 100 |
chapter | अहंम्मन्य मूढ़्ता |