श्लोक - ४०

करने योग्य मनुष्य के, धर्म-कर्म ही मान ।
निन्दनीय जो कर्म हैं, वर्जनीय ही जान ॥
Tamil Transliteration
Seyarpaala Thorum Arane Oruvarku
Uyarpaala Thorum Pazhi.
Section | धर्म- कांड |
---|---|
Chapter Group | अध्याय 001 to 010 |
chapter | धर्म पर आग्रह |
करने योग्य मनुष्य के, धर्म-कर्म ही मान ।
निन्दनीय जो कर्म हैं, वर्जनीय ही जान ॥
Tamil Transliteration
Seyarpaala Thorum Arane Oruvarku
Uyarpaala Thorum Pazhi.
Section | धर्म- कांड |
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Chapter Group | अध्याय 001 to 010 |
chapter | धर्म पर आग्रह |