श्लोक - ३७४

जगत-प्रकृति है नियतिवश, दो प्रकार से भिन्न ।
श्रीयुत होना एक है, ज्ञान-प्राप्ति है भिन्न ॥
Tamil Transliteration
Iruveru Ulakaththu Iyarkai Thiruveru
Thelliya Raadhalum Veru.
| Section | धर्म- कांड |
|---|---|
| Chapter Group | अध्याय 031 to 038 |
| chapter | प्रारब्ध |