श्लोक - १२३४
स्वर्ण वलय जाते खिसक, कृश हैं कंधे पीन ।
प्रिय-वियोग से पूर्व की, छवि से हैं वे हीन ॥
Tamil Transliteration
Panaineengip Paindhoti Sorum Thunaineengith
Tholkavin Vaatiya Thol.
Section | काम- कांड |
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Chapter Group | अध्याय 121 to 13 |
chapter | अंगगच्छवि- नाशा |